surendra kumar shukla bhramar5's blog
दर्द देख जब रो मै पड़ता
Submitted by surendra kumar ... on Tue, 06/21/2011 - 20:15
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बूढ़े जर्जर नतमस्तक हो
हमका बनाऊ की बिगाडू मोरी माई
Submitted by surendra kumar ... on Wed, 06/15/2011 - 05:03
तुहिन कहू बड़े भाग से पाये
आज सूरज बड़ी देर कुछ आंक निकला
Submitted by surendra kumar ... on Thu, 06/02/2011 - 00:27
आज सूरज बड़ी देर कुछ आंक निकला
दुःख ही दुःख का कारण है
Submitted by surendra kumar ... on Tue, 05/31/2011 - 07:45
दुःख ही दुःख का कारण है
दिल पर एक बोझ है
मन मष्तिष्क पर छाया कोहराम है
आँखों में धुंध है
पाँवो की बेड़ियाँ हैं
हाथों में हथकड़ी है
धीमा जहर है
विषधर एक -ज्वाला है !!
राख है – कहीं कब्रिस्तान है
तो कहीं चिता में जलती
जलाती- जिंदगियों को
काली सी छाया है !!
फिर भी दुनिया में
दुःख के पीछे भागे
न जाने क्यों ये
जग बौराया है !!
ममता की तू मूरति माता
Submitted by surendra kumar ... on Mon, 05/09/2011 - 10:32
हे अनाथ की नाथ -प्राण हे
भाग्य विधाता -जग कल्याणी
राम की प्यारी- धरती अपनी ना जाने क्यों अभिशप्तित है
Submitted by surendra kumar ... on Sat, 04/23/2011 - 02:49
मानवता को हे मानव तू अमृत पिला जिलाए -Bhramar ka dard aur darpan
Submitted by surendra kumar ... on Sat, 04/23/2011 - 02:38
नौवां दिन - माता सिद्धिदात्री का - आइये इनकी चरण वंदना करें -BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
Submitted by surendra kumar ... on Sat, 04/23/2011 - 02:33
आज ‘तिरंगा’ फिर लहराया विजयी ‘विश्व’ है ‘भारत’ छाया
Submitted by surendra kumar ... on Sat, 04/23/2011 - 02:24
आज ‘तिरंगा’