आज ‘तिरंगा’ फिर लहराया
विजयी ‘विश्व’ है ‘भारत’ छाया
वाह धुरंधर धोनी के सब
गजब किया रे !!!
‘मेहनत’ रंग है लाती
सिद्ध किया है मूल-मन्त्र ये
मार लिया मैदान !!!
जंग -जीत के विश्व विजेता
‘भारत’ बना ‘महान’ !!
‘दिया’ जला ‘दीवाली’ लाये
फुलझड़ियाँ हैं कहीं पटाखे
रात-रात भर फूटें
रंग बिरंगे इंद्र-धनुष
से रौशन सारा !!!
जाग उठा आसमान !!!
‘मुम्बई’ से ‘लहर’ उठी रे
गाँव -गली तक पहुंची
गाँव की गलियां शहर हमारे
‘नाच’-कूद अब ‘ढोल’ बजाते
‘होली’ से रंगे हैं सारे
चले आज सब ‘तेरे द्वारे’
देखो ‘मेला’ लगा हुआ है
'माँ" बाबा का नाम हुआ है
‘चरण’ छू रहा उनके कोई
कोई ‘गले’ लगाया
धरती पर ‘भगवान’ सरीखा
"विजयी"- ‘लाल’ है छाया !!
"माँ" की बेचैनी बढ़ी जा रही
"मेले" ना मन लाये
आ के "हार" पहन ले
जल्दी-गुझिया पूड़ी खाए !!
'छाछ'- 'दही'- 'गुड'- 'तुलसी' पत्ता
'कलश'- भरा रख आये
पहलवान "वीर" बाबा तो
'बेल्हा' -'चौहरजन' जाना
'विन्ध्याचल' -'काशी' में जाकर
'गंगा' डुबकी लाना
सारी 'मन्नत' पूरी करना
नौ दिन 'व्रत' भी रहना
'नवरात्री' -'दुर्गा'- "माँ" की
पूजा -अर्चना !!!
हवन-यज्ञँ सब करना
'पूत' -'सपूत'- हों ऐसे सबके
इस "माटी' के 'लाल"
जहाँ रहें 'चौके' -'छक्के' जड़
करते रहें -'कमाल' !!!
अपने घर में 'ख़ुशी' पले तब
हर दिन मचे 'धमाल' !!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
२.४.2011
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