Pratapgarh

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हमें अनपढ़-गंवार बुलाते हो

झूठे इतिहास लिखकर, विजेता बन बैठे तुम, पाखंड फैलाकर, सत्ताधारी बन बैठे तुम, और हमें नीच बुलाते हो ??. खेत-खलियान हड़पकर, धनवान बन बैठे तुम, भुखमरी फैलाकर, सभ्यवान बन बैठे तुम, और हमें अछूत बुलाते हो ?? महिलाओं को देवदासी बनाकर, देवता बन बैठे तुम, दहेज़-प्रथा फैलाकर, संस्कृतिवान बन बैठे तुम, और हमें समाज-कंटक बुलाते हो ?? लोगों को जात-पात में बांटकर, मानवीय-प्रेरक बन बैठे तुम, साम्प्रदायिकता फैलाकर, शांति-दूत बन बैठे तुम, और हमें आतंककारी बुलाते हो ??? मंदिरों के रूप में दूकान बनाकर, पुजारी बन बैठे तुम, चारों तरफ दुर्गन्ध फैलाकर, मठाधीश बन बैठे तुम, और हमें अश्लील बुलाते हो ?? एकलव्य का अंगूठा काटकर, मेरीटवान बन बैठे तुम, अंधविश्वास फैलाकर, ज्ञानी बन बैठे तुम, और हमें मूर्ख बुलाते हो ?? काली कमाई से धन जुटाकर, परोपकारी बन बैठे तुम, उपोषण-भयादोहन-गुंडागर्दी फैलाकर, अहिंसा के पुजारी बन बैठे तुम, और हमें हिंसक बुलाते हो ?? रोटी के बदले अस्मिता लूटकर, पूज्यनीय बन बैठे तुम, अराजकता फैलाकर, राष्ट्रभक्त बन बैठे तुम, और हमें राष्ट्र-द्रोही बुलाते हो ?? कलम छीनकर, शिक्षा-शास्त्रीबन बैठे तुम, जातिवाद फैलाकर, समाजवादी बन बैठे तुम, और हमें अनपढ़-गंवार बुलाते हो ??